विद्यार्थी सिंसियर बने सीरियस नहीं क्योंकि सिनसियरटी जीवन में आनंद और उपलब्धि प्रदान करता है और सीरियसनेस आपके जीवन में तनाव और अवसाद देता है —प्राचार्य डॉ. ए. के. झा 

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विद्यार्थी सिंसियर

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जमशेदपुर  :  एल. बी. एस. एम. महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में रोटरी क्लब मिडटाउन एवं आई. क्यू. ए. सी., सह मनोविज्ञान विभाग एल. बी. एस. एम. कॉलेज, जमशेदपुर के संयुक्त तत्वावधान में “मैनेजिंग इमोशंस “विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. ए. के. झा ने किया। सर्वप्रथम कार्यशाला की मुख्य वक्ता रोटेरियन प्रीति सैनी (काउंसलर, मोटिवेशनल स्पीकर , कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट) को कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। प्राचार्य ने कहा कि संवेग सुखदायक एवं दुखदायक दोनों ही होती हैं। संवेगों की अभिव्यक्ति से ही व्यक्ति की समाज में पहचान होती हैं। आज बच्चे छोटी – छोटी बातों पर अपने इमोशन को नियंत्रित नहीं कर पाते और वे गलत कदम उठाते है और अपना भविष्य खराब कर लेते हैं।संवेग व्यक्ति के शारिरिक, मानसिक, बौद्धिक, चरित्रिक, चिन्तन-मनन इत्यादि सभी पक्षों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि आज शहर मेंटल सिकनेस के लिए जाना जा रहा है, कारण कि लोग अपने इमोशन को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं और सुसाइड तक कर ले रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा की आप अपने ऊपर अतरिक्त दबाव ना ले इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विद्यार्थी सिंसियर बने सीरियस नहीं क्योंकि सिनसियरटी आपको जीवन में आनंद और उपलब्धि प्रदान करता है और सीरियसनेस आपके जीवन में तनाव और अवसाद देता है।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रीति सैनी ने कहा कि भावनाओं या इमोशंस को प्रबंधित करना रिश्ते बनाने, लचीलापन बनाने, निर्णय लेने के कौशल, काम को बढ़ाने आदि के द्वारा बेहतर पूर्ण जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।भावनात्मक नियमन में भावनाओं को पहचानना, स्वीकार करना, समझना, प्रबंधन करना और प्रतिक्रिया देना शामिल है। साथ ही भावनात्मक नियमन कौशल जैसे सचेत रहना, आत्म-जागरूकता पैदा करना आदि भावनाओं को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। मंच का संचालन मनोविज्ञान विभाग के डॉ. प्रशांत तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रमिला किस्कू ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ. डी के. मित्रा, डॉ. विनय गुप्ता, प्रो. विनोद कुमार, प्रो . पुरषोत्तम प्रसाद, डा .विजय प्रकाश, डॉ. अजेय वर्मा, डॉ. जया कक्षप, प्रो. ऋतु, प्रो.अरविंद पंडित, डॉ. सुष्मिता धारा, डॉ. शबनम परवीन, प्रो. सलोनी रंजने, प्रो मोहन साहू, डॉ. नूपुर, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. संतोष कुमार, प्रो . संजीव, प्रो. बाबूराम सोरेन उपस्थित रहे।

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